सर्विस टैक्स की बढ़ती दरें से परेशान आम आदमी के लिए राहत की खबर है। अब Passport , वीजा या फिर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने पर किसी प्रकार का सर्विस टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र को भी सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है। वित्त मंत्रालय द्वारा बजट में नई सर्विसेज को सर्विस टैक्स के दायरे में लाने संबंधी एक स्पष्टीकरण जारी किया गया है। इसमें वित्त मंत्रालय ने बिजनेसमैन और कंपनियों को कुछ सर्विसेज पर सर्विस टैक्स से राहत दी है।
सरकार और लोकल अथॉरिटी की सर्विस पर राहत
वित्त मंत्रालय के अनुसार सरकार या फिर लोकल अथॉरिटी द्वारा दी जाने वाली सेवाएं सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर रखी गई हैं। इनमें कई तरह की रजिस्ट्रेशन सर्विसेज भी शामिल हैं। हालांकि इसके लिए अहम शर्त यह है कि इन सभी सेवाओं का शुल्क 5000 रुपए से अधिक का नहीं होना चाहिए। इसके मुताबिक अब Passport , वीसा, ड्राइविंग लाइसेंस और जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने पर सर्विस टैक्स नहीं देना होगा।
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बिजनेस मैन का भी राहत
फाइनेंस बिल 2016 के मुताबिक नए कारोबारी साल से हर उस बिजनेसमैन को सरकारी सर्विसेज लेने पर 15 फीसदी का सर्विस टैक्स देना था, जिसका सालाना टर्नओवर दस लाख या ज्यादा हो। कारोबारियों और इंडस्ट्री एसोसिएशनों की ओर से इस नियम का विरोध किए जाने के बाद सरकार ने इस बारे में सफाई जारी की है। कंपनियों को टेस्टिंग, सुरक्षा जांच या सर्टिफिकेशन सर्विसेज, लैंड यूज अप्रूवल चार्ज या किसी तरह की ड्यूटी या पेनल्टी चुकाने पर भी सर्विस टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही, टेलीकॉम कंपनियों को भी बड़ी राहत देते हुए सरकार ने साफ किया है कि 1 अप्रैल 2016 के पहले मिले स्पेक्ट्रम के लिए उन्हें सर्विस टैक्स नहीं देना होगा। यही नहीं, पिछले वित्त वर्ष के स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज या लाइसेंस फीस को भी सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है।
जेटली बोले- वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ठोस नीति की जरूरत, सार्वजनिक निवेश पर हो जोर
जेटली बोले- वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ठोस नीति की जरूरत, सार्वजनिक निवेश पर हो जोर
जेटली बोले- वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ठोस नीति की जरूरत, सार्वजनिक निवेश पर हो जोर
वाशिंगटन। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए ग्लोबल स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजकोषीय नीति का पुनर्आकलन होना चाहिए। जेटली ने जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की वैश्विक अर्थव्यवस्था और मजबूत, सतत और संतुलित वृद्धि के ढांचे पर आयोजित बैठक में कहा, हमारा मानना है कि मौद्रिक नीति के उपाय अपनी सीमा पर पहुंच गए हैं। इसका फायदा बराबर तरीके से नहीं पहुंचा है। अब राजकोषीय नीति के पुर्नआकलन का सही समय है जिसमें सार्वजनिक निवेश पर ज्यादा ध्यान हो।
जेटली ने कहा कि वैश्विक सुधार की नाजुक प्रक्रिया के सामने जो जोखिम हैं उनमें कमजोर मांग, संकुचित वित्त बाजार में, व्यापार में नरमी और उतार-चढ़ाव वाला पूंजी प्रवाह शामिल है। मंत्री ने कहा, भारत ने हमेशा वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के उपाय के तौर पर वैश्विक स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले की जरूरत पर बल दिया है। जेटली ने कहा, हम चीन सरकार द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था के पुनर्संतुलन की कोशिश और विशेष तौर पर विभिन्न क्षेत्रों में अतिरिक्त क्षमता कम करने के प्रयास की सराहना करते हैं। इससे अन्य देशों में विनिर्माण गतिविधि के लिए आवश्यक गुंजाइश पैदा होगी।
उन्होंने कहा कि सभी जी-20 देशों में 2015 के दौरान आयात-निर्यात में गिरावट दर्ज हुई। साथ ही उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापार के प्रेरक तत्व को बहाल करने के लिए प्रभावी और ठोस नीतिगत प्रतिक्रिया तैयार करने की जरूरत है। जेटली ने कहा, विभिन्न देशों को व्यापार संरक्षणवादी पहलों से दूर रहने और प्रतिस्पर्धात्मक अवमूल्यन से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हमें वैश्विक वित्तीय सुरक्षा दायरे में असमानता पर भी ध्यान देना होगा। जेटली ने कहा, विकसित देशों के पास मुद्रा संबंधी झटकों से निपटने के लिए अदला-बदली की गुंजाइश है, उभरते बाजार जो उधारी और अंतरराष्ट्रीय हस्तांतरण दोनों के लिए मुद्रा भंडार पर बेहद निर्भर हैं, के पास ऐसे उपाय नहीं हैं।
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